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चक्रों के बारे में जानकारी मूलाधार-चक्र

05-04-2020 Blog

चक्रों के बारे में जानकारी मूलाधार-चक्र.

चक्रों के बारे में जानकारी

 

मूलाधार-चक्र, स्वाधिष्ठान-चक्र, मणिपूरक-चक्र, अनाहत-चक्र, विशुद्ध-चक्र, आज्ञा-चक्र और सहस्त्रार-चक्र। इस तरह ये कुल 7 चक्र होते हैं। सौरमंडल में नवग्रहों को मान्यता प्राप्त है। परन्तु शरीर में सात चक्र ही माने जाते हैं इसलिये यहां सूर्य से लेकर शनि ग्रह को ही स्थान दिया गया है। राहु और केतु को भी इस चक्र में सम्मिलित नहीं किया गया है। छाया ग्रह मान कर इन्हें छोड़ दिया गया है।    

चक्र और स्वामी ग्रह  
मूलाधार चक्र - मंगल
स्वाधिष्ठान चक्र - बुध
मणिपूरक चक्र - सूर्य
अनाहत चक्र - गुरु
विशुद्ध चक्र - शुक्र
आज्ञा चक्र - चंद्र 
सूर्यसहस्त्रार चक्र - शनि

आईये अब संक्षेप में चक्रों को जानते हैं-
चक्र नाम - मूलाधार चक्र 
अंग नाम - मेरुदंड
विषय - गुदाद्वार और गुप्ताँग के मध्य 

मूलाधार चक्र मल त्याग, काम-वासना, मानसिक स्थायित्व, भावनात्मक लालसा व इन्द्रिय सुख, काम, क्रोध, लोभ और मोह से संबंधित चक्र है। साधना के दौरान सर्वप्रथम इसी चक्र को योग के माध्यम से भेदकर मनुष्य को ईश्वर में समाहित होने का प्रयास करना होता है। 

इस चक्र को सक्रिय कर व्यक्ति आत्मसंयम को प्राप्त करने का माध्यम बनता है, इसके लिए व्यक्ति को व्यायाम, योग, चिंतन, मनन, तप, त्याग और आध्यात्मिक मार्ग का पालन करना जरूरी होता ह।। यही मूलाधार चक्र जीवन का आधार और चेतन मन का प्रतीक माना गया है।
 

 

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