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वेध

01-06-2020 Blog

वेध .

वेध 

 

शिल्पवेध, समवेध व अंतरर्वेध क्या हैं? ये किस तरह से मानव जीवन को व उसके भवन के वास्तु को प्रभावित करते हैं, इसके बारे में हम इस लेख में जानेंगे।

 

शिल्पवेध


क्रूर व हिंसक पशु-पक्षी या मूर्तियों का शिल्प की दशा में उपस्थित होने को शिल्पवेध माना जाता है। पुराने महाराजाओं के समय में राजा-महाराज शिकार उपरान्त बाघ, सिंघ या अन्य जानवरों को मारकर उनकी खाल को अपने महल में सजावट के तौर पर लगाया करते थे जोकि आज भी कुछ लोगों के भवन में देखने को मिल जाती है। इसको शिल्पवेध कहा जाता है और ऐसा करने वाले लोगों की आयु घटती रहती है।

 

समवेध

 

जब एक भवन का निर्माण किया जाता है तो वहां पर भूतल के उपर दूसरी मंजिल बनाई जाती है, और यदि इस मंजिल की ऊंचाई भी भूतल के बराबर होती है तो इसको समवेध कहा जाता है। इस समवेध के कारण परिवार का विनाश होना तय रहता है। इस वेध से बचने के लिये उपरी मंजिल की उंचाई 1/12 हिस्से जितनी कम होनी चाहिये।

 

अंतरर्वेध


जब कोई परिवार अपना आस-पास या आमने-सामने बने मकानों में आने जाने के लिये बीच दीवार से या छज्जे से रास्ता निकाल लेता है तो इसको अंतरर्वेध कहा जाता है। ऐसे मकानों में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा क्रोधी स्वभाव के होते हैं।

 

 

 

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