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आफिस हो ऐसा कि कारोबार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ता जाये

3-9-20 Blog

आफिस हो ऐसा कि कारोबार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ता जाये .

आफिस हो ऐसा कि कारोबार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ता जाये

 

वास्तुशास्त्र क्या है, अच्छे परिवेश में रहना और व्यवस्थित तरीके से वस्तुओं रखना और नियंत्रित परिवेश में स्थान का इस्तेमाल करना वास्तु कहलाता है। 

 

सभी को ज्ञात है कि ब्रह्माण्ड में 4 दिशायें होती हैं, परन्तु इन सभी दिशाओं की सहायक दिशायें भी होती हैं और इस तरह से कुल 16 दिशायें होती हैं जिनके आधार पर वास्तु कार्य करता है। 

 

विश्राम, शयन, व्यापार, भोजन, मनोरंजन अथवा अध्यात्म आदि हेतू वास्तु में सभी क्रियाओं के लिये एक दिशा पहले से ही निर्धारित की हुई है। इस तरह से हमें दिशाओं के अनुसार अपनी क्रियाओं के लिये उपयुक्त दिशा में व्यवस्था करनी होती है। दिशाओं के इस सिद्वान्त के अनुसार यदि हम अपने घर या आफिस में व्यवस्था बनाते हैं तो मनुष्य उचित गति से तरक्की करता है अन्यथा वह सामान्य या फिर ज्यादा दोष होने पर वह सामान्य से काफी कम गति से प्रगति करता है और विभिन्न प्रकार की परेशानियों का जीवनकाल में सामना करना पड़ता है।
 

तो हम पहले बात करते हैं दिशाओं के आधार पर व्यापार की दिशा- 
यदि आप रैस्टोरेन्ट मतलब खाने-पीने से सम्बन्धित व्यापार करना चाहते हैं तो आपके लिये दक्षिण दिशा अच्छी है क्योंकि यह दिशा अग्नि से जुड़ी है, इसलिये इस दिशा में रैस्टोरेन्ट सम्बन्धित कार्य बखूबी चलते हैं।

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यदि आप महिलाओं के वस्त्रों से सम्बन्धित कारोबार करना चाहते हैं तो आपके लिये दक्षिण-पूर्व उचित दिशा है। वहीं मनोरंजन से सम्बन्धित कारोबारियों के लिये उत्तर-पूर्व दिशा अच्छी होती है। हैल्थ से जुड़े कार्यों के लिये उत्तर-उत्तर-पूर्व, राजनीति से जुड़े लोगों के लिये पूर्व दिशा।
 

इस तरह हर प्रकार के व्यापार के लिये वास्तु में एक दिशा निर्धारित है इसलिये बहुत अच्छे परिणाम के लिये आप व्यापार शुरू करने से पहले वास्तु शास्त्री से परामर्श अवश्य करें।
 

व्यापारिक कार्यालय बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक होता है जिन पर हम यहाँ चर्चा करेंगे-

    1. पूजा स्थल
    2. प्राॅडक्ट डिस्प्ले
    3. मालिक के बैठने जगह
    4. ब्राण्ड नेम प्लेट लगाने की जगह
    5. कैश काउन्टर

 

1. पूजा स्थल - पूजा स्थल बनाने के लिये वैसे तो सर्वश्रेष्ठ दिशा होती उत्तर-पूर्व, परन्तु व्यापार में आप पश्चिम दिशा में पूजास्थल बनाते हैं तो यह आपको धन अर्जन और उसको संग्रह करने के ज्यादा अच्छे अवसर प्रदान करता है।

 

2. प्राॅडक्ट डिस्प्ले - आप जिस भी वस्तु का व्यापार कर रहे हैं उसका डिस्प्ले पैनल आपको उत्तर-उत्तर-पश्चिम में बनाना चाहिये क्योंकि यह दिशा आकर्षण की होती है और इस दिशा में रखे सामान पर सबसे पहले आकर्षण उत्पन्न होता है, फलस्वरूप उसके सबसे पहले बिक्री होने की सम्भावना होती है।

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3. मालिक के बैठने की जगह - व्यापारी के बैठने की जगह होती उत्तर-पूर्व या फिर वह पश्चिम दिशा में भी अपने बैठने की जगह बना सकते हैं दोनों ही दिशा लाभकारी होती हैं। यदि व्यापारी को ज्यादा दिमागी स्पष्टता एव क्लेरिटी चाहिये तो वह उत्तर पूर्व में बैठ सकते हैं अथवा धन संचय के लिये पश्चिम दिशा में अपनी बैठने की जगह बना सकते हैं।

 

4. ब्राण्ड नेम प्लेट लगाने की जगह - आपका व्यापार ज्यादा प्रसिद्वि प्राप्त करे उसके लिये दक्षिण-पूर्व दिशा होती है, इस दिशा में अपने व्यापार का लोगो लगाने से वह जल्दी ही लोकप्रिय होने लगता है।

 

5. कैश काउन्टर - कैश काउन्टर को उत्तर दिशा में बनाना ज्यादा लाभप्रद होता है क्योंकि यह दिशा कुबेर की होती है इसलिये यहाँ कैशन काउन्टर बनाने से वह धन को आकर्षित करता है। आप चाहें तो इस एरिया की सकारात्मकता बढ़ाने के लिये यहाँ नई फसल की सीनरी भी लगा सकते हैं।

 

उपरोक्त के अलावा भी अन्य कई पहलू होते हैं जिनका ध्यान रखने पर आप ज्यादा अच्छे से अपने व्यापार में प्रगति कर पाते हैं, लेकिन अगर आपके आफिस में वास्तु सन्तुलन में है तो उपरोक्त तथ्यों को अपनाने से आपके व्यापार में अच्छी तरक्की की शुरूआत हो जाती है।

 

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    नमस्कार 
    
वी.एम.वी. वास्तु महा वास्तु
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