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उत्तर-पश्चिम दिशा - सहयोग, समर्थन व बैंकिग

19.03.21 Blog

उत्तर-पश्चिम दिशा - सहयोग, समर्थन व बैंकिग.

उत्तर-पश्चिम दिशा - सहयोग, समर्थन व बैंकिग

 

घर के इस दिशा में स्टोर बनाने से मिले लोगों एवं व्यवसायों को वांछित सहयोग


उत्तर-पश्चिम (NW) को दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार संग्रह का दिशा माना गया है। जिस समय पर और जिन लोगों के लिए इस शास्त्र को लिखा गया, उसके अनुसार जनसाधारण के लिए अलग और राजा के लिए अलग ढंग से अलकेमी की दिशाओं का प्रयोग करने को कहा गया है। फिर राजनर्तकों के लिए, अर्थात् आज की भाषा में, जो फिल्म लाइन से जुड़े हुए लोग हैं उनके लिए अलग वर्णन है। फिर दीवान, मंत्रियों के सलाहकार आर्किटेक्ट्स आदि प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग विधान दिया गया है। कुल मिला कर इसे दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है - राजकार्य करने वाले लोगों और दैनिक जीवन में जीने वाले लोगों के लिए।


प्राचीन समय में फसल आने के बाद उसको संभाल कर रखा जाता था जिससे कि साल भर आदमी को अनाज मिलता रहे। अनाज रखने का स्थान संग्रह का दिशा क्षेत्र था। परंतु जब आप इसको आज-कल के जीवन के संदर्भ में उपयोग करना चाहते हैं तो आपको इसके असली मायने को समझना होता है। आज के जीवन में संग्रह है उन चीजों का जो आज के जीवन चक्र को चलाने मेें सहायक हैं। जो एक उद्योग (इंडस्ट्री) को चलाने के लिए सहायक हैं। वे दो ही चीजें हैं- एक आपका स्टाॅक और दूसरा बैंक। एक आपका ग्राहक और एक आपका बैंक। ये दो महत्वपूर्ण पक्ष हैं।


ग्राहक का संग्रह दिशा से संचालित होता है। आपका बैंक भी इसी दिशा से संबंधित हैं। क्योंकि जो भी आपने जीवन में प्रयत्न किए हैं, परफाॅर्मेंस दी हैं उनकी एवज में जो संग्रह हो के सहारा (सपोर्ट सिस्टम) बनाता है, उसे इसी दिशा की ऊर्जा बनाती है, संचालित करती है और नियंत्रित भी करती है। उसके हानि-लाभ (प्लस-माइनस) अर्थात् ‘क्या बैंक आपके लिए सहायक है या नहीं‘, यह भी इसी कोने से पता चलता है।


जीवन में सभी लोग जो आपने अपने संबंधों के रूप में कमाए हैं, जैसे कि आपके मित्र, वे सभी पश्चिम दिशा से संबंधित हैं। परंतु वक्त पड़ने पर उनकी सहायता और सहयोग का मिलना इस दिशा से संबंधित है।


अगर हम इसे अन्नमय कोष के रूप में देखें और जाने कि शरीर के लिए सहायक वस्तुएँ क्या हैं? आपकी ऐकसेसरीज, सम्पत्तियाँ, कार, आदि आपके सहायक हैं। उनका संबंध इस दिशा से है। आपने कोई संपत्ति (प्रापर्टी) खरीदी और अब आप उससे किराया (रेन्टल इन्कम) लेना चाह रहे हैं। उसका संबंध इस दिशा से है। क्योंकि आपने कुछ संग्रहीन कर लिया, कुछ प्राप्त कर लिया और अब वह आपके जीवन चक्र को चलाने में सहायक है।
कभी कोई व्यक्ति आपके सामने अपनी समस्या कहता है कि “मुझे ये नहीं मिल रहा, ये व्यक्ति सहायक नहीं हो रहा, ये व्यवस्था सहायक नहीं हो रही”। तुरंत आप देख सकते है कि इस कोने में ऐसा क्या है जो इस व्यक्ति को तकलीफ दे रहा है। यहां पर शौचालय होना ठीक नहीं, क्योंकि आपको ठीक वक्त पर जो (सपोर्ट) चाहिये उसे यह विसर्जित कर देते है।


परंतु यहां कर बैठक का होना आपकी बैठकों को आपके लिए सहायक बना देता है। यहां पर बेडरूम होना, आपको लोगों के प्रति सहायता देने का भाव देता है और साथ ही आपकी सहायता लोग कर सकें उन संभावनाओं को भी बनाता है। इस प्रकार जीवन की अलग-अलग गतिविधियों का इस दिशा में होना इस दिशा के अनुसार और उस क्रिया (एक्टीविटी) के तत्व के अनुसार और साथ ही इस ऊर्जा क्षेत्र के अपने तत्व के अनुसार प्रभाव उत्पन्न करता है। पहले यह जान लें कि क्या उसका संतुलन ठीक बैठ रहा है? उसके आधार पर आप इस शक्ति का सदुपयोग कर सकते हैं।


कुछ समय पहले एक विद्यार्थी जिन्होंने अपना वी.एम.वी वास्तु महा वास्तु (VMV Vastu Maha Vastu) कोर्स पूरा कर लिया था, ने एक रोचक अनुभव का ब्यान फाॅलो-अप (Follow-Up) सत्र में किया। जब उन्होंने इस कोर्स में दाखिला लिया था उस समय व बैंक से लोन लेने के लिए काफी कोशिश कर रही थी क्यांेकि वह एक नया घर खरीदना चाहती थीं। उन्होनें एवं उनके पति ने एक सुंदर और बढ़िया घर देखा भी था। अग्रिम भुगतान भी कर दिया था, लेकिन जब तक बाकी पैसा लोन के जरिए नहीं भरते तब तक संुदर घर का सपना, पूरा नहीं हो सकता था।


वे बैंक द्वारा लोन पास होने में लगातार परेशानियों का सामना कर रहे थे और घर खरीदने में देरी होती जा रही थी। कोर्स के दौरान उन्होंने स्वयं अपने उस घर का विश्लेषण किया जिसमें वह उस समय रह रही थीं। इसके लिए उन्होंने 4 स्टेप वी.एम.वी वास्तु महा वास्तु (VMV Vastu Maha Vastu)  का प्रयोग किया।


उन्होंने पाया कि उनका शयन कक्ष पश्चिम दिशा में स्थित था परंतु शौचालय उत्तर-पश्चिम दिशा में था। एक लाल रंग की ट्राॅली भी वहां रखी थी जो पांच तत्वों में असंतुलन पैदा करके सहयोग के दिशा को कमजोर बना रही थी। चूंकि सभी लक्षण समस्याओं के साथ सौ प्रतिशत मेल खा रहे थे इसलिए उन्होंने उपयुक्त वास्तु समाधानु हेतु वी.एम.वी वास्तु महा वास्तु (VMV Vastu Maha Vastu)  तकनीकों का प्रयोग किया।


जब उन्होंने सारें उपायों को अपने घर में प्रयोग किया तो कुछ दिनों के बाद ही उन्हें दो हफ्तों में ही लोन मिल गया। उन्होंने अपना फाॅलो-अप (Follow-Up) मुझे दिया। वह बहुत ही खुश थी और वह अब अपने नए घर का भी विश्लेषण करके उसमें जरूरी उपाय करने के लिये उत्सुक थी जिससे वे वहाँ खुशी-खुशी रह सकें। मैं हँसा और बोला, “यह तो कोई समस्या ही नहीं है, अब तो सारे टूल्स (Tools) आपकी अपनी मुट्ठी में ही हैं।”

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