सहस्रार चक्र - यह चक्र सिर के मुकुट क्षेत्र में स्थित होता है, जिसका आध्यात्मिक ऊर्जा हम सब है, यानि हम अपने असली स्वरूप को जानते हैं।
इस चक्र की मंत्र ध्वनि ओम और बीज ध्वनि हम्म होती है। सहस्रार चक्र की इन्द्री ज्ञान और गंध कमल होती है। इसकी अनुकूल धातु स्वर्ण यानि सोना होती है। यह यूरेनस ग्रह से सम्बन्धित होता है और प्रबोध की इसकी शक्ति होती है। मानव के मस्तिष्क व अंतःस्रावी ग्रंथियों से इसका सम्बन्ध होता है।
भावनात्मक असंतुलन से उत्पन्न होता है उदासीनता, अवसाद, तर्कवादी, समाज से परे, सीखने में अक्षम, लापरवाही, सुस्ती, थकान, कमजोरी, अनिद्रा स्मरण शक्ति व ऊर्जा में कमी।
इसके श्रेष्ठ उपचार के लिये राजयोग ध्यान, निर्देशित छवि कल्पना, परमानंदयुक्त, न्यूरोबिक्स, गुनगुना, अल्फा संगीत, रचनात्मक कार्य करने चाहियेे।
सहस्रार चक्र में बाधा के कारण शरीर में निम्न रोग उत्पन्न हो जाते हैं-
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