विशुद्वि चक्र: यह चक्र प्रारंभ से बंद अवस्था में होता है। बदनीयती, घमंड, वाचाल होना व मोह इसका प्रमुख गौण गुण होता है।
निम्न कारक इसको जाग्रत करने का मूल होते हैं-
विशुद्वि चक्र के गुणः शान्ति और प्रभाव संप्रेषण इस चक्र के प्रभावी गुण होते हैं।
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