वास्तु और भूमि दोनों में बड़ा घनिष्ठ संबंध है। भवन निर्माण के लिये सबसे पहले भूमि का ख्याल आना स्वाभाविक है। भारतीय संस्कृति में भूमि को माता का दर्जा दिया गया है। आवास बनाने के लिये किस तरह का भूखंड होना चाहिये, इसका भली प्रकार देख परख कर चयन करना आवश्यक होता है।
किस तरह तरह की भूमि खरीदनी चाहिये जो सुख और समृद्धि का कारक हो? आवासीय भूखंड हेतू सदैव जीवित भूमि का क्रय करना चाहिये, अर्थात ऐसी भूमि जिस पर उगे वृक्ष आदि हरे-भरे रहते हों तथा अन्न की उपज भी उत्तम हो उसे जीवित भूखंड समझना चाहिये। इसके विपरीत बंजर भूमि को मृत भूमि माना गया है।
जिस भूमि में हड्डी, दीमक लगी हो अथवा भूमि फटी हुई हो उसे बिल्कुल भी आवास हेतू नहीं लेना चाहिये।
विभिन्न प्रकार के औषधीय पौध, वृक्ष तथा लताओं से सुशोभित जहां से उत्तम प्रकार की खुशबू आती हो ऐसी भूमि सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस तरह की भूमि निर्मित भवन में रहने वाले मनुष्यों के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, उनमें परस्पर प्रेम व त्याग की भावना रहती है।
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