दक्षिण-पश्चिम की बढ़ी हुई भूमि वाले प्लाट को नैऋत्य वृद्धि भूखंड कहा जाता है। राहु जोकि एक तमोगुणी ग्रह होता है और उत्तर-पश्चिम दिशा का स्वामी भी, इसलिये इस तरह के भवन में रहने वाले लोगों के जीवन में तमोगुण की अधिकता देखी जाती है।
राहु भूत-प्रेत का भी कारक होता है इस कारण भूत, प्रेत एवं आसुरी शक्तियों का भी ऐसे प्लाट पर निवास होता है। यहां रहने वाले लोगों में परस्पर वैमनस्य की भावना रहती है। परिवार के सदस्यों पति-पत्नि, पिता-पुत्र, माता-पुत्र में परस्पर मधुर संबंध नहीं रहते वे अत्यंत क्रोधी एवं उग्र स्वभाव वाले होते हैं।
इसके अतिरिक्त परिवार में आग, शस्त्र प्रयोग, विषपान एवं उग्रता वाली हरकतें अक्सर देखने को मिलती हैं। आकस्मिक घटना, दुर्घटनायें, आत्महत्या जैसी घटनायें भी देखी जा सकती हैं। घर में निवास करने वाले परिवार के सदस्यों के बीच छल-कपट के प्रपंच एवम् झूठ-फरेब करते रहते हैं। ये लोग अनैतिक एवं अमर्यादित कार्यों में संलग्न होते हैं। संतान मादक पदार्थ की लत में लग जाती है। गृहस्वामी के दाम्पत्य जीवन में कलह एवं वेदना होना आम बात है।
ऐसे भूखंड पर बने मकान में रहने वाले अंध-विश्वास के शिकार होतो हैं तथा जादू-टोना, तंत्र-मंत्र पर अधिक विश्वास करते हैं। घर में भूत-प्रेत से संबंधित घटनायें होती रहती हैं।
इस तरह का भूखंड स्वास्थ्य व मानसिक खुशियों में कमी, धन तथा सुख-समृद्धि में कमी लाने वाला होता है, तदनुसार इस तरह का प्लाट अथवा भवन सर्वदा दुख देने वाला होता है।
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