चयनित भूखंड में किसी प्रकार के शल्य दोष का न होना सुनिश्चित करें। इस भूखंड के आस-पास कोई श्मशान घाट अथवा कब्रिस्तान भी नहीं होना चाहिये।
भूखंड का आकार - सर्वश्रेष्ठ परिणाम के लिये भूखंड का आकार चैकोर लेना चाहिये, आयताकार भूखंड भी ले सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कोई भी कोना 90 डिग्री होना चाहिये इससे कम या ज्यादा नहीं होना चाहिये। भूखंड की दक्षिण और पश्चिम दिशा की बाडन्ड्री बनाने में यदि 90 डिग्री वाले कंक्रीट के पत्थर इस्तेमाल करना अच्छा होता है। उत्तर और पूर्व दिशा की बाउन्ड्री में कंटीले तारों का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इन दो दिशाओं को जितना खुआ रखते हैं उतना अच्छा होता है।
भूखंड के मध्य में स्थित ब्रह्म स्थान को खुला रखें इस स्थान पर किसी भी प्रकार का निर्माण या भारी सामान रखना अच्छा नहीं होता है। इस दिशा में निर्माण करने से भी विकास की गति बाधित हो जाती है।
उद्योग का प्रवेश द्वार - औद्योगिक संस्थान में प्रवेश करने लिये मुख्य द्वार को बनाने के लिये ईशान्य या उत्तर दिशा श्रेष्ठ होती है। यहां पर जगह न होने पर वायव्य, दक्षिण, पश्चिम दिशा में भी मुख्य द्वार बनाया जा सकता है।
जमीन का ढ़ाल - फैक्ट्री की जमीन का ढ़ाल बनाते समय ध्यान रखें कि इसका ढ़ाल उत्तर या पूर्व की तरफ होना चाहिये। टीन शेड लगवाते हैं तो इसका झुकाव दोनों तरफ रखना चाहिये, ऐसा नहीं कि इसका ढ़लान एक ही दिशा में हो अन्यथा घाटा बढ़ने के सम्भावना बनी रहती है।
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