भारी व ऐसा सामान जिसका बहुत कम उपयोग होता हो अथवा उपयोग में न आने वाली वस्तु का भंडारण नैऋत्य दिशा में करना लाभप्रद होता है।
इसके विपरीत बिक्री हेतू तैयार वस्तुओं का भंडारण वायव्य दिशा में कराना उचित होता है, इस दिशा में तैयार सामान रखने से उसकी बिक्री जल्द ही हो जाती है। यहां एक और बात ध्यान रखने वाली है, वह यह कि तैयार सामान को उत्तर या पूर्व दिशा के गेट से बाहर निकालना चाहिये। कच्चे माल के आवागमन के लिये अग्नि दिशा में बने गेट से करना श्रेष्ठ होता है। कुल मिलाकर ऐसा है कि व्यवस्था ऐसी हो कि कच्चा माल अग्नि दिशा से अन्दर आये और तैयार माल उत्तर या ईशान दिशा से बाहर ले जाया जाये।
ज्यादा जगह लेने वाली ज्यादा भारी मशीनें नैऋत्य के दक्षिण और पश्चिम दिशा की तरफ लगानी चाहिये। हल्की एवम् हाथ द्वारा चलाने वाली मशीनों को उत्तर, पूर्व या दक्षिण दिशा में लगाया जाना चाहिये। इन मशीनों को इस तरह लगाना चाहिये कि इन मशीनों को चलाने वाले कामगारों के मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ रहें।
बाॅयलर या ट्रांसफार्मर आदि को अग्नि की दिशा में लगाना उत्तम होता है, ट्रांसफार्मर को अग्नि कोण से थोड़ा दक्षिण की तरफर खिसका कर लगाना चाहिये बिल्कुल अग्नि दिशा में नहीं। साथ ही ट्रांसफार्मर के आसपास की दीवारों में द्वार न बनायें। ट्रांसफार्मर में बिजली की आपूर्ति पूर्व दिशा से लेकर पश्चिम की दिशा से वितरित करनी चाहिये।
भट्टी एवं बाॅयलर को मूल दक्षिण से दक्षिण आग्नेय तक के हिस्से में लगाया जाना चाहिये। जगह न होने पर बाॅयलर को पश्चिम या मूल पूर्व दिशा में भी लगाया जा सकता है, परन्तु इससे अन्यत्र किसी दिशा में इसको न लगायें।
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