यह लेख हमारी पिछली पोस्ट क्रियेशन, कन्ट्रोल एण्ड बैलेन्सिंग पार्ट 1 से आगे का है, अगर किसी ने पहली पोस्ट नही पढ़ी है तो वह इस लिंक को क्लिक करके पहली पोस्ट पढ़ सकते हैं।
गतांक से आगे .............
अब दूसरे पहलू को भी समझ लेते हैं उत्तर दिशा ने बनाया पूरब दिशा को, इस प्रकार उत्तर दिशा पिता हो गई और पूरब दिशा बेटा। क्रियेटर पिता हो गया और जो दिशा बनी है वो बेटा, इस प्रकार ये पापा-बेटे कहलाये। आगे हम इन दिशाओं को पापा-बेटे से ही सम्बोधित करेंगे, इसलिये इसको अच्छी तरह से समझ लें।
जो भी क्रियेटर होगा वह पिता कहलायेगा और जो नई दिशा क्रियेट होगी वह बेटा कहलायेगी।
क्रियेटर (पिता) - नई दिशा (बेटा)
उत्तर - पूरब
पूरब - दक्षिण
दक्षिण - पश्चिम
पश्चिम - उत्तर
ईस्ट की दिशा क्या हुई बेटा जिसने जिसको बनाया वो उसका बेटा हो गया। नॉर्थ ने ईस्ट को बनाया तो नॉर्थ पिता और ईस्ट बेटा। ईस्ट की दिशा ने साउथ को बनाया तो ईस्ट पिता और साउथ बेटा। साउथ ने अर्थ को बनाया तो साउथ पिता और अर्थ बेटा। अर्थ ने आकाश को बनाया अर्थ पिता और आकाश बेटा। आकाश ने जल को बनाया तो आकाश पिता और जल बेटा।
ये पापा वाली कहानी समझ में आ गई जल का बेटा कौन है ईस्ट वायु इसी प्रकार साउथ वेस्ट का पिता कौन है अग्नि साउथ की दिशा, साउथ वेस्ट का पिता कौन हुआ प्रकृति तत्व का अग्नि और बेटा कौन हुआ स्पेस आकाश क्रियेशन समझ में आ गया। बहुत आसान है। ये तो हुआ क्रियेटर इसके बाद अब हमें कन्ट्रोल समझना है
जल, जल हमें क्या देता है, नार्थ जल की दिशा है और जल प्रकृति (ईस्ट) को पैदा करता है और वायु जब अधिक हो जाती है तो अग्नि (साउथ) पैदा होती है और अग्नि में से ही पृथ्वी (साउथ वेस्ट) निकली है और पृथ्वी में से ही लोहा (आकाश) (मैटल) की उत्पत्ति होती है आकाश को हम लोहा और पानी दोनो से कंसीडर करते हैं और आकाश से पानी बरसता है तो जल (नार्थ) की उत्त्पत्ति होती है।
तो आप ये कह सकते हैं-
1- जल का बेटा वायु है और पिता आकाश है।
2- वायु का बेटा अग्नि है और पिता जल है।
3- अग्नि का बेटा पृथ्वी है और पिता वायु है।
4- पृथ्वी का बेटा आकाश है और पिता अग्नि है।
5- आकाश का बेटा जल है और पिता पृथ्वी है।
इस प्रकार पाँचो तत्व एक दूसरे को क्रिएट करते हैं या जन्म दे रहे हैं।
वास्तु में इन्ही पाँच तत्व का महत्व होता है उपरोक्त जानकारी के अनुसार बैलेन्सिंग प्रक्रिया की जाती है।
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