वास्तु में तीन चीजों को मुख्य रूप से देखा जाता है वह होती हैं, किचन, टॉयलेट और एन्ट्रेन्स। हमें इन्ही तीन चीजों का ध्यान रखकर वास्तु को बैलेन्स किया जाता है। आज हम बात करेंगे टॉयलेट के बारे में कि किस तरह हम टॉयलेट का वास्तु कर सकते हैं।
टॉयलेट एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर अपशिष्ट को डिस्पोज़ किया जाता है, वैसे तो टॉयलेट को घर से बाहर अन्य जगह पर बनाना चाहिये परन्तु टॉयलेट तो आज सभी के घरों के अन्दर ही बनाया जाता है और कुछ घरो में तो यह बिल्कुल बैडरूम तक पहुँच गया है। इसके अलावा सबसे नकारात्मक बात तो यह है कि यदि टॉयलेट का निर्माण गलत दिशा में किया जाता है तो यह बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा फैलाता है जिससे भवन में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।
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टॉयलेट बनाने के लिये सर्वोत्तम दिशा होती है दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम, पूर्व-दक्षिण-पूर्व और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम, इनमें से आज हम पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा के बारे में बात करेंगे। पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा लो-मूड और डिप्रैशन से जुड़ी होती है, यानि यहाँ पर यदि कोई व्यक्ति ज्यादा देर तक बैठता है तो वह डिप्रैशन का शिकार हो जाता है, इस दिशा में रूदन का रूम बनाया जा सकता है क्योंकि यह दिशा सभी प्रकार की नकारात्मकता को सोख लेती है इसलिये इस दिशा में टॉयलेट को भी बनाया जा सकता है।
इस दिशा में टॉयलेट बनाने से व्यक्ति यहाँ पर कम समय बितायेगा और डिप्रैशन के नकारात्मक प्रभाव से बचा रहेगा। बाकी दो दिशाओं के बारे में जानकारी हम अपने ब्लाग के माध्यम से अन्य पोस्ट में करेंगे।
4, Rama Market, Garh Road, Meerut
9219614445, 9219618699, 9568964080
vastumahavastu@gmail.com
www.vastumahavastu.co.in
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