चाहे किसी भी स्तर का मनुष्य हो उसके लिये जल अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, जल, वायु, अग्नि इसके बिना जीवन सम्भव नही है और वास्तु में इन सभी के लिये एक नियत स्थान निश्चित होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार जल का जोन उत्तर दिशा में होता है, यानि कि जल से जुड़ी गतिविधियों के लिये उत्तर दिशा का चुनाव किया जाना चाहिये। जल से जुड़ी सभी प्रकार की गतिविधि जैसे- सबमर्सिबल पम्प लगवाना, भूमिगत अथवा भूमि के उपर पानी को स्टोर करना। पानी से जुड़ी अन्य गतिविधि यदि सम्भव हो सके जैसे- कपड़े धोना, बर्तन साफ करना आदि।
जल को धन का प्रवाह भी माना गया है इसलिये जल से जुड़ी गतिविधियाँ सही दिशा में करने से धन का संचय अच्छा होता रहता है। इसके अतिरिक्त जब आप जल एवम् ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी पाँच तत्वो को यदि उनकी अपनी दिशा में रखा जाये तो वे अपना सकारात्मक प्रभाव मनुष्य को दे पाते हैं अन्यथा उनके अभाव में मनुष्य के जीवन में कुछ न कुछ कठिनाईयाँ आती रहती हैं और मनुष्य के जीवन को कष्टप्रद बना देती हैं।
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