दक्षिण दिशा जिसका स्वभाव अग्नि देव की दिशा है जिसके दिशा गृहक्षत और यमराज होते हैं। लाल रंग इस दिशा का अनुकूल रंग होता है, इस दिशा के प्रभाव बनाने के लिये इस दिशा में लाल रंग की फैमिली का रंग यानि लाल, गुलाबी, सन्तरी, पीच कलर आदि इस्तेमाल करने से इस दिशा का प्रभाव बना रहता है।
इस दिखा की अनुकूल आकृति त्रिकोणाकार की होती है, अर्थात् त्रिकोण आकार की वस्तुयें लगाने से भी यह दिशा अपने पूरे प्रभाव में होती है। त्रिकोणाकार से अन्यत्र आकृति इस दिशा में लगाने से इस दिशा में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है अतः दक्षिण दिशा में लाल रंग की फैमिली के रंग व आकृति त्रिकोणाकार की लगानी चाहिये।
मिक्सी, वाशिंग मशीन, फैन, पानी की मोटर इत्यादि घूमने वाली वस्तुयें भी वास्तु अनुसार इस दिशा में पूर्णतया प्रतिबंधित हैं। यह सब इस दिशा के प्रभाव में व्यवधान उत्पन्न करती हैं, बल्कि इस दिशा में घोड़ों की अथवा अग्नि की फोटो को लगाया जा सकता है जो इस दिशा के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करते हैं।
वी-एम-वी- वास्तु अनुसार यदि इस दिशा में पढ़ाई करने का रूम बनाया गया है तो वह सही नही है, इस दिशा के देवता हैं गृहक्षत और यम जोकि आराम के देवता हैं और दूसरा इस दिशा में अग्नि के होने से इसका स्वभाव थोड़ा उग्र है। अतः यहाँ बनाये गये पढ़ाई के रूम में जब भी बच्चे पढ़ने बैठेंगे तो या तो उनमें आराम की अथवा गुस्से की भावना आयेगी। इस दृष्टि से इस दिशा में स्टडी रूम बनाना बिल्कुल भी उचित नही है वास्तु के अनुसार स्टडी रूम की दिशा अलग होती है, जिसके बारे में अन्य पोस्ट में बताया जायेगा। वास्तु से जुड़ी अन्य किसी जानकारी के लिये कमेन्ट बाक्स में पोस्ट करें।
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