मानव जब जन्म लेता है तब उस समय जो नक्षत्र और ग्रह दशा होती है उसके अनुसार ़मनुष्य के भाग्य का निर्धारण होता है कि वह जीवन में क्या हासिल करेगा और कितनी कठिनाई उसके जीवन में आयेंगी और कितना परिश्रम उसको अपनी जीविका के लिये करना होगा। वह पढ़ाई के क्षेत्र में कितनी शिक्षा प्राप्त करेगा उसका स्वास्थ्य कैसा होगा इत्यादि।
पाँच तत्वों से मिलकर शरीर मनुष्य को मिलता है जिसके जीवन की पूरी कहानी नक्षत्र, ग्रह दशा आदि के अनुसार होता है। प्रत्येक मानव के जीवन में कुछ कठिनाईयाँ अवश्यक ही होती हैं। यदि मनुष्य को ऐसा कुछ ज्ञान हो जाये कि वह इन कठिनाईयों का निवारण किस प्रकार कर सकता है तब ऐसा ज्ञान पाने की स्थिति में मनुष्य का जीवन सरल हो जाता है, उस पर आने वाली विपत्ति या तो टल जाती है या फिर उसका बहुत कम ही असर मनुष्य पर होता है। मनुष्य जिस भवन में रहता है वह भी पाँच तत्वों के द्वारा बना होता है, यदि भवन में पाँच तत्वों का सन्तुलन बना है तो उसकी काफी समस्या वैसे ही हल हो जाती हैं।
उसके बाद एक दूसरी प्रणाली होती है अंक ज्योतिष विज्ञान। जिस तरह ज्योतिष शिशु का नाम किसी विशेष अक्षर से रखने को कहते हैं उसी तरह यदि अंक ज्योतिष विज्ञान का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। अंक ज्योतिष के द्वारा यह निर्धारण होता है कि व्यक्ति का व्यवहार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कामयाबी कितना हासिल करेगा। गलत अंक का नाम रखने से मनुष्य का जीवन कठिन और सही अंक का नाम रखने से मनुष्य का जीवन सुगम हो जाता है, इसे ही ज्योतिष विज्ञान कहते हैं। यह अंक 1 से लेकर 9 तक होते हैं, अंक ज्योतिष विज्ञान के द्वारा व्यक्ति का नाम सही किया जाता है जिससे मनुष्य को उसके जन्मांक के अनुरूप अच्छी शक्तियों का सहयोग मिल सके, यह अंक कैसे निर्धारित किये जाते हैं उसके बारे में अगली पोस्ट में प्रकाशित किया जायेगा।
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