पाँच तत्वों से बनी इस सृष्टि में तत्वों के सबैलेन्स करने को वास्तु शास्त्र कहाजा सकता है, जिस प्रकार यह सृष्टि और मानव शरीर पाँच तत्वों से बना है उसी प्रकार इस सृष्टि की प्रत्येक वस्तु में पाँच तत्वों का नियम चलता है। यदि यह पाँच तत्व सन्तुलन में हैं तो सब अच्छा है अन्यथा कुछ न कुछ समस्या आती रहती है। मानव निर्मित भवन में भी पाँच तत्व व्याप्त होते हैं यदि मानव का भवन इन तत्वों के अनुसार सन्तुलन में होता है तो मनुुष्य सकारात्मक ऊर्जाओं का साथ पाता है अन्यथा वह उन ऊर्जाओं के अभाव में किसी भी कार्य कार्य को करे उस कार्य में उसको विलम्ब प्राप्त होता रहता है।
ईश्वरीय सकारात्मक शक्तियों की मदद लेने हेतू ही पाँच तत्वों में सन्तुलन बनाकर रखा जाता है। इसी तरह से दिशाओं का महत्व होता है यह दिशायें भी तत्वों से सम्बन्धित होती हैं हालांकि प्रत्येक दिशा का अपना अलग गुण होता है परन्तु यह दिशायें भी तत्वों से मिलकर ही कार्य करती हैं। आज इस पोस्ट के माध्यम से बात करेंगे दक्षिण दिशा की। दक्षिण दिशा का दक्षिण दिशा क्षेत्र यह दिशा क्षेत्र यमराज देवता के अर्न्तगत आता है, भवन की सम्पूर्ण दिशाओं में कुल मिलाकर 32 देवता होते हैं जिनमें कुछ का प्रभाव अच्छा होता है और कुछ का नकारात्मक प्रभाव होता है। इन सब बातों का ध्यान रखकर हम भवन में अपनी गतिविधियों के लिये जगह का निर्धारण करते हैं कि कौन सी जगह पर किस प्रकार की गतिविधि का संचालन करना है। दक्षिण दिशा आराम के देवता यमराज के निहित होती है वैसे तो सामान्य तौर पर यमराज का नाम सुनते ही मनुष्य घबरा जाते हैं परन्तु दूसरी बात जानने योग्य यह है कि यह दिशा आराम से सम्बन्धित होती है। दक्षिण दिशा में यदि आप अपना शयनकक्ष बनाना चाहते हैं तो यह एक बहुत आदर्श दिशा शयनकक्ष के लिये। यदि आप इस शयनकक्ष में आराम करना चाहते हैं तो दक्षिण के यमराज दिशा क्षेत्र में बैड डालकर निद्रा करने से आप पूर्ण आराम प्राप्त करेंगे। यहाँ पर आपका जो बैड है वो इसी दिशा क्षेत्र में आने पर ही आपको लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त यदि आप जीवन में नये-नये धन अर्जन के अवसर अथवा लाभ में बढ़ोत्तरी करना चाहते हैं तो इन उददेश्यों के अलग दिशा है, जिनके बारे में अलग पोस्ट में बताया जायेगा। लाल रंग इस दिशा का अनुकूल रंग होता है, अर्थात् इस दिशा में लाल रंग से सजावट करने से इस दिशा का प्रभाव बढ़ता है अब लाल रंग चाहे हल्का हो या गहरा इससे कोई फर्क नही पड़ता है। इस दिशा में नीला, पीला, काला, ग्रे रंग अमान्य होता है। इन रंगों के इस्तेमाल से इस दिशा पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वास्तु से सम्बन्धित अन्य किसी विषय पर जानकारी के लिये कमेन्ट बाक्स में पोस्ट करें।
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