शौचालय एक ऐसी उपभोग की वस्तु बन गया है जिसको अब स्टेटस के रूप में देखा जाने लगा है, लोग इसकी डेकोरेशन पर अब काफी पैसा खर्च करने लगे हैं। अगर हम अपने पूर्वजों की परम्परा को देखें तो उनके अनुसार शौचालय तो घर में होना ही नही चाहिये, परन्तु अब तो यह घर में क्या घर के लिविंग रूम तक पहुँच गया है। कहीं-कहीं भवन के हर कमरे के साथ एक अटैच शौचालय बनाया जाने लगा है। मनुष्य ईतना ज्यादा आरामदायक संसाधन बनाने लगा है कि वह अपनी परम्पराओं को भी भूलने लगा है।
इन्ही कारणों से वह वास्तु देव को नाराज करते हुये उनके प्रकोप का भागी बनता है, क्योंकि जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि वास्तु देव के अनुसार प्रत्येक वस्तु का अपना एक निश्चित स्थान है और जब निर्माण अपनी जरूररत या सुविधा के हिसाब से किया जाता है तो वास्तु दोष निश्चित रूप से होता ही है। भवन में टॉयलेट बनाने के लिये सिर्फ तीन दिशायें होती हैं, परन्तु सुविधानुसार इसको कहीं भी बना दिया जाता है, जिस कारण मनुष्य को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
मान लीजिये आपने उत्तर दिशा में एक रूम बनाया और वहीं टॉयलेट और एक रूम पश्चिम दिशा में और वहाँ भी एक शौचालय साथ में बनवा दिया। अब क्या होगा उत्तर दिशा में असन्तुलन होने से आपको अवसर नही मिल पायें और पश्चिम दिशा में असन्तुलन होने से लाभ से वंचित रह जायेंगे।
शौचालय बनवाने के लिये सबसे उपयुक्त दिशा होती है, पूर्व उत्तर पूर्व, दक्षिण दक्षिण पश्चिम व पश्चिम उत्तर पश्चिम इनमें से किसी भी दिशा में शौचालय बनवाने से किसी भी प्रकार का वास्तु दोष नही होगा। और इनमें भी सबसे उपयुक्त दिशा होती है दक्षिण दक्षिण पश्चिम। इनमें से किसी भी दिशा में यदि शौचालय बनाया जाता है तो वह किसी भी प्रकार का वास्तु दोष नही देता है, और भवन में वास्तु को सन्तुलन में बनाये रखा जा सकता है। वास्तु से सम्बन्धित अन्य किसी जानकारी के लिये कमेन्ट बाक्स में पोस्ट करें।
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