Main Door Vastu - सम्पूर्ण घर का वास्तु करते समय यदि घर के मुख्य द्वार के वास्तु को अनदेखा करते हैं तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घर का मुख्य द्वार भवन में सकारात्मक ऊर्जाओं के आने का भी मुख्य स्रोत होता है इसलिये वास्तु का अनुपालन करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना है कि मुख्य द्वार को किसी भी दशा में अनदेखा न किया जाये।
भवन के मुख्य द्वार (Main Door Vastu) से जब भवन के सदस्य आते-जाते हैं तब उन पर मुख्य द्वार का पूरा प्रभाव पड़ता है, अब यदि मुख्य द्वार की वास्तु शास्त्र के अनुसार बैलेन्सिंग अथवा रैमेडी की गई है तो आपको सकारात्मक ऊर्जाओं का लाभ मिलता है अथवा नकारात्मक ऊर्जाओं का वहन भवन में रहने वाले सदस्यों को करना पड़ता है।
वास्तु शास्त्र की कन्सल्टैन्सी करते समय हमने ऐसा विभिन्न जगह पर देखा है कि लोगों ने बैडरूम, किचन और यहाँ तक कि बाथरूम का भी वास्तु सही कर रखा है परन्तु मुख्य द्वार को उन्होने यूं ही छोड़ा हुआ है। तो आज इस पोस्ट के माध्यम हम आपको यह बतायेंगे कि मुख्य द्वार की वास्तु बैलेन्सिंग कितनी महत्वपूर्ण है और मुख्य द्वार के माध्यम से किस तरह लाभ लिया जा सकता है।
सभी व्यक्तियों के भवन अलग-अलग दिशाओं में होते हैं तो उनकी प्रवेश की दिशा और दिशा क्षेत्र भी अलग होते हैं, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बतायेंगे कि यदि आपको भवन दक्षिण मुखी है तब उसका वास्तु द्वारा सन्तुलन किस प्रकार किया जा सकता है। यहाँ पर हम अपने क्लाईन्ट की केस स्टडी के माध्यम से इस बात को समझायेंगे।
चण्डीगढ़ में रहने वाले एक क्लाईन्ट के यहाँ ऐसी व्यवस्था थी कि मुख्य द्वार को छोड़कर उनका सम्पूर्ण घर वास्तु द्वारा सन्तुलित किया गया था। उनका सवाल भी यही था कि कुछ समय पहले उन्होने वास्तु शास्त्र करवाया था परन्तु अभी भी कुछ परेशानियाँ उनके जीवन में हैं। तब हमने फिर से उनके नक्शे का अवलोकन किया और यह पाया कि उनका जो प्रवेश द्वार है वह वास्तु सिद्वान्त के अनुसार सन्तुलित नही है।
तब हमने उनके भवन के मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार करके उन्हे दिखाया कि किस तरह से मुख्य द्वार के असन्तुलित वास्तु से उन्हे नुक्सान हो रहा था। उनके भवन का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा के आकाश एवं अग्नि दिशा क्षेत्र में बना हुआ था, जिसका रंग पूर्ण रूप से नीला था। मेन एन्ट्रेन्स दक्षिण दिशा में और उस पर नीला रंग दक्षिण दिशा के लिये विपरित रंग था जिस कारण से उनके घर में कैश का फ्लो रूका हुआ था। उनका पेमेन्ट या अटका जाता था अथवा काफी दिनों में मिलता था। वास्तु के सिद्वान्त के अनुसार उनके मुख्य द्वार का रंग लाल रंग का करवाते हुये उसको वास्तु अनुसार सन्तुलित किया जिससे उनके व्यापार में धन का आगमन बिना रूकावट के होता रहे।
दक्षिण दिशा में नीला रंग आ जाने से उत्तर दिशा का भी सन्तुलन बिगड़ गया जिसके कारण उनके यहाँ व्यापारिक अवसरों में भी कमी आ रही थी और स्वास्थ्य से सम्बन्धित परेशानियाँ वे देख रहे थे। दक्षिण दिशा के मुख्य द्वार पर लाल रंग करने से उनका दक्षिण दिशा का द्वार भी सन्तुलित हो गया और उत्तर दिशा से जुड़ी हुई अवसर (अपौर्चुनिटी) एवम स्वास्थ्य की परेशानियों का भी समाधान हो गया।
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