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प्रवेश द्वार का महत्व

9-11-2021 Blog

प्रवेश द्वार का महत्व .

प्रवेश द्वार का महत्व

 

अपने व परिवार के निवास हेतू प्रत्येक मनुष्य घर का निर्माण करता है, परन्तु जब भी कोई व्यक्ति घर अथवा प्लाट खरीदता है तो खरीदार के मन में एक ही बात आती है कि उन्हे सिर्फ पूरब अथवा उत्तर मुख का ही घर खरीदना है। ऐसा सदियों से लोग कहते हैं कि सिर्फ पूरब और उत्तर मुख के ही घर अच्छे होते हैं, अन्य दिशा के घर अच्छे लाभ वाले नही होते हैं। जबकि वास्तु महा वास्तु अनुसार यदि मनुष्य सही दिशा क्षेत्र में प्रवेश द्वारा बनवाता है तो प्रत्येक दिशा का घर शुभ लाभ वाला होता है। यदि मनुष्य पूर्व अथवा उत्तर दिशा का ही घर लेता है और उसमें प्रवेश द्वार शुभ फल वाले दिशा क्षेत्र में नही है तो पूर्व दिशा वाला घर भी भवन निवासियों को अच्छे परिणाम नही दे पायेगा।

 

वास्तु महा वास्तु अनुसार वास्तु का नियम घर के प्रवेश द्वार से शुरू होता है उसके बाद अन्य वस्तुओं अथवा जगह पर वास्तु देखा जाता है और यदि प्रवेश द्वार ही गलत दिशा में है तो मनुष्य किस तरह से शुभ फल प्राप्त कर पायेगा। इसलिये भवन किसी भी दिशा का हो परन्तु भवन का प्रवेश द्वार सही दिशा क्षेत्र बनाया जाता है तो वह शुभ फल मनुष्य को देता है। इसके उपरान्त पूरे भवन में वास्तु का सन्तुलन बनाकर रखा जाये तो परमेश्वर की पोषणकारी शक्तियाँ भी मनुष्य का साथ देती हैं उसके कार्य हेतू सहायक वातावरण बनाये रखती हैं। आप ऐसा अनुभव कीजिये कि एक इमारत में आने और जाने के लिये अलग-अलग द्वार की व्यवस्था है और अगर आप बाहर आने वाले रास्ते से इमारत में प्रवेश करेंगे तो निश्चित रूप से ही आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसी प्रकार यदि भवन में भी आप वास्तु अनुसार शुभ फल वाले दिशा क्षेत्र से अन्यत्र कहीं प्रवेश द्वार बनाते हैं तो आपको अच्छे परिणाम नही मिल पायेंगे।

 

वास्तु महा वास्तु अनुसार स्वास्तिक की दिशा में प्रवेश द्वार बनाना शुभ होता है, परन्तु ऐसा भी नही है कि आपने स्वास्तिक की दिशा में स्वयं ही प्रवेश बनवा दिया। ऐसा भी नही है कि मनुष्य बहुत जल्दी ही मकान बदलता हो इसलिये अनुभवी वास्तु शास्त्री के द्वारा सही दिशा में प्रवेश द्वारा बनाया जाये। सही दिशा क्षेत्र में प्रवेश द्वार बनाने के लिये उक्त मकान अथवा प्लॉट का नक्शा बनाया जाता है और फिर उस पर 16 दिशायें बनाई जाती हैं। उसके बाद उक्त प्लॉट पर 32 देवताओं के दिशा क्षेत्र आते हैं और फिर उनमें से चाहे देवताओं के द्वारा अथवा स्वास्तिक विधि के द्वारा प्रवेश द्वार बनाया जाता है। वास्तु से जुड़ी अन्य किसी जानकारी के लिये कमेन्ट बाक्स में पोस्ट करें।

 

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