अब हम पहुँच गये हैं दक्षिण दिशा में........... पिछली पोस्ट में आपने लाल रंग कहाँ आना चाहिये और उसकी क्या दिशा और उसके क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
इस पोस्ट में हम उससे आगे की बात करेंगे, यदि आपने इससे पहले वाली पोस्ट नही पढ़ी है तो मैं यह कहना चाहूँगा कि आप उस पोस्ट को पहले पढ़ लीजिये तब आप इसको सही तरह से अपने फायदे के लिये इस्तेमाल कर पायेंगे।
क्यूंकि आधा ज्ञान बहुत ही खतरनाक होता है, रसोईघर में लाल रंग का वास्तु प्रयोग
अब दक्षिण दिशा में आने के बाद हमने देखा कि यहाँ दक्षिण दिशा तीन मुख्य दिशा में विभाजित हो गई है अब इन चारों में कौन सी दिशा से हमे शुरूआत करनी है। एवम दिशा के साथ ही यहाँ विराजमान देवताओं का भी हमे पूरा ध्यान रखना है। कहीं ऐसा न हो कि आपके किसी गलत कदम से वास्तु की बैलेन्सिंग अधूरी रह जाये। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि लेख के माध्यम से आपको पूरा ज्ञान दे सकूं।
हम मानकर चलते हैं कि आपने जो रसोईघर बना रहे हैं कि वह प्रॉपर दक्षिण दिशा में है, सबसे मुख्य वस्तु गैस का चूल्हा होता है, उसका स्थान बिल्कुल सही जगह होना चाहिये। वास्तु पुरूष के अनुसार आकाश, अग्नि, पूषा, वितथ, गृहक्षत, यमराज ये सभी दक्षिण दिशा से जुड़े मुख्य देवता होते हैं। वास्तु सन्तुलन करते समय हमे इन सभी का ध्यान रखना होता है। गैस चूल्हा को आप जिस स्लैब पर रखते हैं उसका रंग महत्वपूर्ण होता है। यद्यपि लाल रंग दक्षिण दिशा का अनुकूल रंग परन्तु फिर भी लाल रंग का स्लैब लगवाने से बचना चाहिये। या फिर लाल रंग का स्लैब यदि आप लगवाना चाहते हैं तो गैस के नीचे का स्लैब लाल रंग का बिल्कुल भी न लगवायें। गैस यानि अग्नि और लाल रंग यानि अग्नि, कभी भी अग्नि के उपर अग्नि नही जलती है। आप बताईये कि अग्नि कहाँ जलाई जा सकती है।
प्रकृति के द्वारा बनाये गये पाँच तत्व- जल, अग्नि, वायु/लकड़ी, आकाश एवं पृथ्वी हैं। यानि कि एक वास्तु शास्त्र कन्सल्टैन्ट को रंग, दिशा, देवता एवं पाँच तत्व इन सभी को ध्यान में रखकर वास्तु सन्तुलन करना होता है जिससे कि क्लाईन्ट को पूरा लाभ मिल सके। यदि आप घर, फैक्ट्री अथवा ऑफिस का वास्तु कराना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें। यह पाँच तत्व एक-दूसरे को बनाते (क्रियेशन) भी हैं और एक-दूसरे को नष्ट भी करते हैं, क्रियेशन वाले ऑर्डर के अनुसार वास्तु को बैलेन्स सही होता है। उपरोक्त पाँच तत्व में से अग्नि को पृथ्वी तत्व के उपर जलाया जा सकता है। इस तरह से आपने जाना कि गैस चूल्हा के नीचे पृथ्वी तत्व का होना अनिवार्य है, यदि इससे अलग कोई रंग का स्लैब आप गैस के नीचे लगाते हैं तो वह एक दूसरा वास्तु असन्तुलन पैदा कर देगा और दोनो ही दिशायें और उनके पंँच तत्व का सन्तुलन बिगड़ जायेगा। इसलिये दक्षिण दिशा के रसोईघर में गैस चूल्हा के नीचे आपको हरे रंग का स्लैब लगवाना चाहिये, इससे अग्नि तत्व का बैलेन्स बना रहेगा और दक्षिण दिशा में अग्नि होने से भोजन भी स्वादिष्ट बनेगा और धन का फ्लो बना रहेगा। अब यदि यही रसोईघर पश्चिम दिशा में होता है तो वहाँ न तो लाल रंग का प्रयोग किया जायेग और न ही हरे रंग का, सभी दिशाओं के अनुसार वास्तु सन्तुलन दिशाओं के सिद्धान्त के अनुसार ही किया जाता है। लेख पढ़ने के लिये धन्यवाद, वास्तु से सम्बन्धित किसी जानकारी के लिये कमेन्ट करें अथवा वास्तु कन्सल्टैन्सी के लिये फोन करें।
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